बिहार में अमित शाह की ‘वर्चुअल रैली’ और राजद के ‘थाली पीटो’ कार्यक्रम के सियासी मायने क्या हैं
बिहार में विधानसभा चुनाव के लिए बिसात बिछनी शुरू हो चुकी है. अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा के चुनाव होने हैं. इसके लिए सभी प्रमुख राजनीतिक दल भी चुनावी मोड में आ गए लगते हैं. कोरोना वायरस को लेकर बुनियादी सच्चाई स्वीकार करते हुए भारतीय जनता पार्टी ने पहले 9 जून को केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह की ‘वर्चुअल रैली’ आयोजित करने का ऐलान किया. लेकिन बाद में इसकी तारीख बदलकर 7 जून कर दी गई.
7 जून से ही नीतीश कुमार जिलेवार अपने कार्यकर्ताओं से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये जुड़ने जा रहे हैं. इसी दिन विधानसभा में विपक्ष के नेता और राजद के कर्ता-धर्ता तेजस्वी यादव ने ‘गरीब अधिकार दिवस’ मनाने का ऐलान कर दिया है. अब इन तीनों दलों के कार्यक्रमों के राजनीतिक मायने को समझने की कोशिश करते हैं. लेकिन उससे पहले देखते हैं कि कोरोना संकट के दौर में चुनाव को लेकर सबकी सोच कैसी है.
चुनाव को लेकर मौजूदा हालत कैसे हैं
चुनाव आयोग ने अपनी गतिविधियां तेज कर दी है. गुरुवार को राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी ने जिलाधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बैठक की. मतदान केन्द्रों के भौतिक सत्यापन का काम जल्द से जल्द पूरा करने का निर्देश दिया. दूसरी ओर चुनावी बिगुल बजने से बिहार के सभी राजनीतिक दलों की पेशानी पर बल पड़ा हुआ है. सबको अपने स्थापित वोट बैंक के दरकने की चिंता सता रही है, क्योंकि सबको यह लग रहा है कि इस कोरोना महामारी ने जिस तरह रिवर्स माइग्रेशन की स्थितियां पैदा कर दी हैं, उसमें न तो धर्म का कार्ड बहुत ज्यादा चलने वाला है, न ही जातीय गोलबंदी की कोशिशें बहुत हद तक कामयाब हो सकती है.
सोशल डिस्टेंसिंग के दौर में पहले के चुनावों की तरह रैलियां और जुलूस निकालना भी फिलहाल संभव नहीं दिख रहा. कुल मिलाकर, यह स्पष्ट होता जा रहा है कि चुनावी कैंपेन भी अब सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर ही किया जाना है. पार्टियां इसी राह पर आगे निकल चुकी हैं.
सबसे पहले बात अमित शाह की वर्चुअल रैली की
अमित शाह की वर्चुअल रैली रविवार, 7 जून को शाम चार बजे से शुरू होगी. इसे ‘बिहार जनसंवाद’ का नाम दिया गया है. इसकी तैयारियों का जायजा लेने के लिए बिहार भाजपा प्रभारी भूपेन्द्र यादव और राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष पहले ही पटना पहुंच चुके हैं. इस सिलसिले में 5 जून को उनकी राज्य भाजपा के पदाधिकारियों के साथ बैठक भी है. प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल के अनुसार-
* राज्य के 72 हजार बूथों पर अमित शाह की वर्चुअल रैली के प्रसारण की व्यवस्था की गई है.
* कोशिश है कि हर विधानसभा क्षेत्र के कम से कम चार-पांच हजार लोगों तक रैली का सीधा प्रसारण पहुंच सके.
* किसी भी बूथ पर 50 से ज्यादा लोगों की उपस्थिति नहीं होने दी जायेगी.
* सभी बूथों पर कार्यकर्ताओं और लोगों के बीच मास्क और सैनिटाइजर की उपलब्धता सुनिश्चित की जायेगी.
इसके अलावा इस रैली में सबकी निगाहें इस बात पर भी टिकी हैं कि क्या अमित शाह नीतीश कुमार के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़ने की अपनी उस घोषणा (जो कुछ माह पहले उन्होंने वैशाली की सभा में की थी) को दोहराएंगे या बीजेपी की तरफ से किसी नई रणनीति या योजना का ऐलान करेंगे.
ऐसे कयास इसलिए भी लगाये जा रहे हैं, क्योंकि जब लोकसभा चुनावों के लिए महाराष्ट्र के सीट बंटवारे का ऐलान हो रहा था, उस समय यह कहा गया था कि महाराष्ट्र में जब विधानसभा चुनाव होगा, उसमें बीजेपी और शिवसेना बराबर-बराबर सीटों पर चुनाव लड़ेंगी. लेकिन जब महाराष्ट्र में विधानसभा चुनावों का बिगुल बजा, तब कुछ और ही कहानी देखी गई थी.